महतारी वंदन योजना से महिलाएं बन रही हैं आत्मनिर्भर

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महतारी वंदन योजना से महिलाएं बन रही हैं आत्मनिर्भर

घरेलू उपकरणों को पूरा करने में सक्षम

कोरबा, छत्तीसगढ़ सरकार ने मोदी की सहमति के तहत महिला संप्रदाय के दिशा-निर्देश में महतारी वंदन योजना की महिमा के कदमों की शुरुआत की है। प्रतिमाह एक हजार रुपये और साल में 12 हजार किशोर महिलाओं की आर्थिक मदद की वकालत करने के साथ-साथ इस शुरुआत से महिलाओं में एक अलग ही उत्साह का माहौल होता है। उनका कहना है कि सरकार की इस योजना से अब हमें अपने छोटे-छोटे सामान में किसी के पास पैसे की जरूरत नहीं है।

कोरबा जिले के ग्रामीण क्षेत्र कोनकोना में रहने वाली श्रीमती श्यामा बाई ने कहा कि हमने ऐसा नहीं सोचा था कि महिलाओं के लिए ऐसा ऑपरेशन किया जाएगा जिसमें हर माह एक हजार रुपये की सहायता राशि प्राप्त होगी। हम महिलाएं गृहणी के तौर पर पूरे घर चलाती हैं और एक-एक रुपये की बचत कर तुरंत बहुत पैसा जमा कर कमाई करती हैं। जिसका उपयोग बार-बार घर की आवश्यक वस्तु के भंडार में होता है। श्याम बाई ने बताया कि उनका पति खेती-किसानी करता है, पति की बातचीत से ही परिवार का खर्च चलता है, लेकिन कोई बचत नहीं हो पाती है, जबकि समय-समय पर परिवार में पैसे की जरूरत बनी रहती है। पिछड़े परिवार के लोगों के लिए एक-एक रुपये का विशेष महत्व होता है। ऐसे में सरकार द्वारा माह में एक हजार रुपये और साल में 12 हजार की आर्थिक सहायता मिलने से महिलाओं को बड़ी राहत मिल रही है। महतारी वंदन योजना लागू होने के बाद अब हर महीने एक-एक हजार प्रति मिल रहे हैं। इससे उनकी बड़ी परेशानी दूर हो गई है। इन दस्तावेजों से वे आपके घरेलू आवश्यकताओं की बिक्री में अक्षम हो गए हैं। छोटी-मोटी लड़की के लिए किसी का सामने हाथ फैलाना नहीं पड़ रहा है।

पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के ग्राम मेसरा झरिया में रहने वाली तिरिथ बाई और ग्रामीण बाई ने बताया कि एक हजार आटा जोड़ने के कारण उन पर बहुत संकट आ गया था। वनांचल क्षेत्र में वनोपजों के संग्रहकर्ता से कुछ पैसे जरूर जोड़े जाते हैं लेकिन हर महीने पैसे की व्यवस्था महतारी वंदन योजना से होती है। इस राशि से बीमारी का समय पर इलाज और घर के खर्च के लिए पैसे की व्यवस्था हो जाती है। उन्होंने बताया कि महतारी वंदन योजना हमारे परिवार के लिए ही नहीं बल्कि अन्य परिवार के लोगों के लिए भी काफी अच्छी योजना है। ऐसे कई विश्लेषण आर्थिक रूप से मजबूत बन रही हैं।

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