सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (20 जनवरी, 2025) को एक पूर्व सैन्य अधिकारी के खिलाफ निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी. अधिकारी ने कथित बलात्कार के एक मामले में अपने खिलाफ आरोपपत्र को रद्द करने का अनुरोध किया था.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस कृष्णन विनोद चंद्रन की बेंच ने दिल्ली पुलिस से यह बताने को कहा कि क्या शिकायतकर्ता ने अन्य लोगों के खिलाफ भी इसी तरह की प्राथमिकी दर्ज कराई थी और उसे जवाब दाखिल करने के लिए 19 फरवरी तक का समय दिया.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए एडवोकेट अश्विनी कुमार दुबे ने कहा कि मामले में आरोप जल्द ही तय किए जाने की संभावना है और अगर निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक नहीं लगाई गई तो मामला निरर्थक हो जाएगा. उन्होंने दलील दी कि शिकायतकर्ता ने याचिकाकर्ता से पैसे ऐंठने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से प्राथमिकी दर्ज कराई और यह सेक्सटॉर्शन का मामला है.
सैक्सटॉर्शन में किसी व्यक्ति की निर्वस्त्र तस्वीर या किसी यौनिक गतिविधि को सार्वजनिक करने की धमकी देकर लोगों को फंसा कर उनसे धन ऐंठा जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्ति की याचिका पर गौर करने को लेकर सहमति जताते हुए दिल्ली पुलिस और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया था. याचिका में कहा गया है कि गलत और दुर्भावनापूर्ण अभियोजन शुरू किया गया, क्योंकि पिछले आठ सालों में महिला के कहने पर सात अलग-अलग थानों में याचिकाकर्ता सहित नौ अलग-अलग लोगों के खिलाफ सात प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी.
याचिकाकर्ता कैप्टन राकेश वालिया (रिटायर्ड) ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें आरोपपत्र रद्द करने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. हाईकोर्ट ने 31 जुलाई के अपने आदेश में कहा कि मामला निचली अदालत के समक्ष है, जो याचिकाकर्ता की ओर से दलीलों पर विचार करेगी और उचित फैसला सुनाएगी.
याचिका में कहा गया, ‘याचिकाकर्ता की उम्र 63 साल है. वह भारतीय सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं. उन्हें दिल का दौरा भी पड़ा था और दो स्टेंट लगाए गए. वह कैंसर से भी पीड़ित रहे हैं और चिकित्सकीय रूप से कहा गया है कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर है.’ याचिका में कहा गया कि कानून का दुरुपयोग करते हुए पूर्व सैन्य अधिकारी पर बलात्कार और छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया, जिसका उद्देश्य उनके जैसे सम्मानित नागरिकों की मेहनत की कमाई हड़पना था.