छत्तीसगढ़ में लागू होगी स्टूडेंट स्टार्टअप एंड इनोवेशन पॉलिसी, दी जाएगी आर्थिक और तकनीकी मदद

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रायपुर। प्रदेश में युवाओं को नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के लिए छात्र स्टार्टअप और नवाचार नीति (एसएसआईपी) जल्द ही लागू की जाएगी। राज्य सरकार की ओर से इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है।

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने तकनीकी शिक्षा विभाग को दूसरे राज्यों का अध्ययन कर नीति बनाने के निर्देश दिए थे। विभाग की ओर से नीति तैयार की जा चुकी है। इसे जिसे जल्द ही राज्य सरकार को सौंपा जाएगा।

इस नीति का मुख्य उद्देश्य युवाओ को उनके विचारों और नवाचारों के माध्यम से सतत और समावेशी विकास की ओर प्रेरित करना है। इस नीति के तहत 2025 से 2029 तक की अवधि में 50,000 से अधिक छात्रों को नवाचार और उद्यमिता के प्रति जागरूक और संवेदनशील बनाया जाएगा।

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तकनीकी सहायता भी दी जाएगी

साथ ही 500 छात्र नेतृत्व वाले प्रूफ ऑफ कांसेप्ट (अवधारणा का प्रमाण) का समर्थन, 500 बौद्धिक संपदा (आईपी) फाइलिंग की सुविधा और 250 स्टार्ट-अप इनोवेटर्स को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी।

अधिकारियों का कहना है कि प्रूफ ऑफ कांसेप्ट का उपयोग यह सत्यापित करने के लिए किया जाता है कि कोई विचार या सिद्धांत वास्तविक दुनिया के व्यावसायिक परिदृश्यों में काम कर सकता है या नहीं। यह देखने के लिए एक परीक्षण की तरह है कि क्या कोई परियोजना या उत्पाद समय और संसाधनों का निवेश करने लायक है।

वार्षिक बजट होगा निर्धारित

इस नीति के तहत राज्य सरकार आवश्यक वार्षिक बजट निर्धारित करेगी, जिससे नवाचार और उद्यमिता के लिए आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी। प्रूफ ऑफ कांसेप्ट के विकास के लिए अधिकतम 2.50 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

प्रोटोटाइप या न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद (एमवीपी) और उत्पाद विकास के लिए 10 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा। लाभार्थियों को सीधे सहायता प्रदान करने के लिए प्रत्यक्ष लाभार्थी हस्तांतरण (डीबीटी) प्रणाली अपनाई जाएगी।

समिति का किया जाएगा गठन

नीति को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए राज्य सर्वोच्च समिति (एसएलएसी) और नीति कार्यान्वयन समिति (पीआइसी) का गठन किया जाएगा। इसके अलावा एक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगी।

यह एजेंसी नीति के क्रियान्वयन और निगरानी का कार्य करेगी। पीएमयू समय-समय पर लाभार्थियों की प्रगति की समीक्षा करेगा और संतोषजनक कार्यान्वयन पर ही निधि जारी की जाएगी।

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