कोरबा नेशनल हाइवे में बरपाली के पास निर्माणाधीन ओवर ब्रिज का साइड ब्लॉक ट्रेलर के ऊपर गिरा, केबिन के उड़े परखच्चे, पीयूष मदान के लापरवाही से जा सकती थी जान

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नेशनल हाइवे में बरपाली के पास निर्माणाधीन ओवर ब्रिज का साइड ब्लॉक ट्रेलर के ऊपर गिरा, केबिन के उड़े परखच्चे, पीयूष मदान के लापरवाही से जा सकती थी जान

 

कोरबा राष्ट्रीय राजमार्ग 149 बी के निर्माण कार्य का ठेका डायमंड कंपनी को मिला है। डायमंड कंपनी द्वारा पीयूष मदान को निर्माण कार्य पूरा करने की जिम्मेदारी दी गई है। पीयूष मदान दादागिरी और लापरवाही पूर्वक कार्य करने के कारण पूरे क्षेत्र में कुख्यात है। उनके द्वारा लगाए गए ठेकेदार बिना सुरक्षा उपकरणों के चौक चौराहों पर काम करवाते नजर आते हैं। पीयूष मदान की लापरवाही के कारण अब तक बरपाली बस स्टैंड के दोनों तरफ 500 मीटर के क्षेत्र में 7 से 8 लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ गयी है किंतु इसके बावजूद भी ना तो कंट्रक्शन कंपनी को कोई फर्क पड़ा और ना ही प्रशासन ने कोई संज्ञान लिया। जिसके कारण पीयूष मदान द्वारा बेखौफ होकर दादागिरी से काम कराया जा रहा है जिससे आम जनता की जान हमेशा जोखिम में रह

पीयूष मदान की लापरवाही का ताजा उदाहरण आज फिर देखने को मिला जिसमें एक जान जाते जाते बची। राष्ट्रीय राजमार्ग 149 बी में बरपाली के पास निर्माणाधीन ओवर ब्रिज का साइड ब्लॉक एक ट्रेलर के केबिन ऊपर अचानक गिर गया जिससे ट्रेलर का केबिन पूरी तरह तहस नहस हो गया। सबसे ज्यादा क्षति हेल्पर साइड को हुआ किंतु सौभाग्य से गाड़ी में हेल्फर नहीं था वरना निश्चित ही एक जान चली जाती, गाड़ी का ड्राइवर बाल बाल बच गया। जहाँ पर ब्रिज का बड़ा साइड ब्लॉक ट्रेलर के ऊपर गिरा वह कोरबा चाम्पा मुख्य मार्ग ही है जिसमे 24 घण्टे छोटी बड़ी गाड़ियाँ चलती हैं। अगर यह साइड ब्लॉक कार या मोटरसाइकिल वालों पर गिर जाता तो निश्चित ही कई लोगों की जान चली जाती। पूर्व में भी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में भारी अनियमितता की खबरें समाचार पत्रों में प्रकाशित हुईं लेकिन आज तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं किया गया। या तो प्रशासन बड़े ठेकेदारों पर कार्यवाही करने से डरती है या फिर हो सकता है अधिकारियों की जेबों में इतना वजन डाल दिया गया होगा कि वे कार्यवाही करने के लिए कुर्सी से नहीं उठ पा रहे हैं। जिससे राजमार्ग निर्माण में लगे कंस्ट्रक्शन कंपनी के हेड पीयूष मदान और उसके द्वारा कार्य कराए जाने वाले ठेकेदारों के कार्यप्रणाली में कोई सुधार नहीं हुआ। अगर अब भी प्रशासन ने इस पर संज्ञान नहीं लिया तो प्रशासन को कभी भी एक बड़े जन आंदोलन का सामना करना पड़ सकता है।

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