कोरबा गांव के दुकानदार बने मजदूर, बिना योजना के हुए निर्माण कार्य, 60-70 लाख रुपये के गबन की आशंका, निष्पक्ष जांच की मांग लेकर उठी आवाज

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गांव के किसान बने मजदूर, बिना योजना के हुए निर्माण कार्य, 60-70 लाख रुपए के गांव की मांग, वैज्ञानिक जांच की मांग लेकर उठी आवाज

 

 

 

 

जंपानी के रोजगार सहायक हैं

 

कोरबा – जिला पंचायत करतला की ग्राम पंचायत जम्पनी में व्यापारी रोजगार सहायक ने रविवार को पटेल की साख और साख के खिलाफ एकजुटता मोर्चा खोला है। रिव्यूल ने आरोप लगाया है कि जॉब असिस्टेंट द्वारा लेबर सहित अन्य एजेंसियों को बड़े पैमाने पर नौकरी दी गई है और सरकारी नौकरी सहायक कर्मचारियों को लाभ दिया गया है। पुनर्मूल्यांकन का कहना है कि जब भी क्षेत्र पंचायतवासी किसी कार्य की मांग करते हैं, तो रोजगार सहायक टालमटोल करता है और केवल अपने चहेते लोगों से ही कार्य करवाता है। गठबंधन में वास्तु के मानचित्र-खसरा को अन्य स्थानों पर स्थापित किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, लगभग 10 लाख 86 हजार रुपये की लागत से बड़े पैमाने पर सफाई के जंगल तालाब का निर्माण किया गया, जहां लगभग 1000 से अधिक पेड़ों की अवैध कटाई की गई, जिसमें सरई, साजा, धावड़ा, बिजरा जैसे जंगली पेड़ शामिल हैं। सबसे सटीक बात यह है कि इस कार्य के लिए वन विभाग से कोई विवरण भी नहीं लिया गया है। तालाब गहरीकरण के नाम पर केवल मेंढ पार खुदवाया गया जबकि अमृत लाल केंवट की डबरी भी बिना योजना के जंगल में खोदी गई। इसी तरह के सजावटी लाल पटेल के समरूपता कार्य में केवल 20 खोदकर कार्य बताया गया है। जयलाल पटेल की डबरी भी दूसरी जगह बनाई गई, जबकि परसाराम पटेल की जमीन पर अधूरा समरूपता कर भुगतान कर दिया गया था। असली विशेषज्ञों को मॅट नहीं मिला, जबकि ऐसे कई सारे सामान का भुगतान किया गया है जो घर बैठे हैं। पशु शेड योजना में भी भारी अव्यवस्था सामने आई है। जिन कारखानों में पालतू जानवर नहीं हैं, वहां पशु शेड बनाए गए हैं, और जिनके पास पालतू जानवर हैं, वे उद्यम रह गए हैं। प्रत्येक शेड निर्माण के प्रोजेक्ट में हितग्राहियों से 5,000 रुपये की अवैध वसूली की जा रही है। प्रोडक्ट का विवरण मास्टर रोल में फर्जी अजीब प्रविष्टि कर राशि का गबन किया गया है। नरदा प्रसाद पटेल को 90 दिन और हिमेंद्र कुमार को 60 दिन के मठाधीश का भुगतान नहीं हुआ है, जबकि लगभग 50-60 अन्य ग्रामीण भी भुगतान से हैं। रिवोल्यूशन ने बताया कि पूर्व में दी गई याचिका में पासपोर्ट जांच टीम को एक सप्ताह के अंदर कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया गया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। रिवॉल्यूशन ने बताया कि रोजगार सहायक सूर्यास्त पटेल ने लिखा है कि “मैं यात्री अधिकारी खरीद-फरोख्त करता हूं, तुम लोग मेरा कुछ नहीं ले सकते।” रिव्यू में यह भी बताया गया है कि देवप्रसाद पटेल, जानबाई, उषाबाई, महावीर, मनमोहन पटेल, रामरतन पटेल, कांति पटेल, दीपक पटेल, दिना पटेल, सुद्रा, फूलबाई यादव, ओमकुमार पटेल, शिवकुमारी मां यादवझावर समेत कई स्टूडियो और स्टूडियो में लाखों लोग शामिल हैं। इनमें से कई लोगों के गांव में किराना, पॉट और उत्पादों के अवशेष अवशेष हैं, जिससे स्पष्ट है कि वे श्रमिक नहीं हैं और फर्जी तरीके से तैयार किए गए हैं।

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